भारत दुनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश है और अमेरिका दुनिया का सबसे पुराना लोकतांत्रिक देश है। हाल ही में अमेरिकी राष्ट्रपति चुनावों में 77 वर्षीय डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन की जीत हुई है। बाइडेन के राष्ट्रपति चुने जाने के बाद भारत –अमेरिकी संबधों में और प्रगाढ़ होने की संभावना है। ओबामा के कार्यकाल के दौरान बाइडेन आठ सालों तक उपराष्ट्रपति रहे थे और उस कार्यकाल मे भारत के साथ मजबूत संबंधों के पक्षधर रहे हैं।
बिल क्लिंटन के वक्त से ही अमेरिका कि प्रो इंडियन पालिसी रही है, ट्रंप कि संरक्षणवादी नीति “अमेरिका फ़र्स्ट” के कारण भारत और अमेरिका के रिश्तों में थोड़ी सी खटास आई है, बाइडेन से उम्मीद की जा रही है कि ट्रंप के कार्यकाल के दौरान भारत और अमेरिका के रिश्ते जो थोड़े कमजोर दिख रहे थे, अब बाइडेन के कार्यकाल में मज़बूती आयेगी। भारत को भी “आत्मनिर्भर भारत” जैसे संरक्षणवादी नीति में बदलाव करना बहुत ज़रूरी होगा।
हालांकि, भारत का अमेरिका के साथ व्यपार हमेशा सरप्लस मे रहा है जिससे भारत को हमेशा से फायदा हुआ है। लेकिन ट्रंप की शून्य संचय खेल नीति के कारण भारत का अमेरिका के साथ आर्थिक सहयोग घटा है, माना जा रहा कि बाइडेन के आने से अमेरिका द्वारा भारत पर लगाये गये आर्थिक प्रतिबंध हट सकते हैं ,दोबारा से ईरान के साथ अमेरिका शांति समझौते पर हस्ताक्षर करेगा जिससे भारत ईरान से सस्ते दामों मे फिर से तेल खरीद सकता है क्योंकि भारत तेल खरीदन के लिए डॉलर में क़ीमतें चुकाता है ईरान पर प्रतिबंध लगाने के कारण भारत यह ख़रीददारी नहीं कर सकता था। ईरान पर प्रतिबंध होने के कारण भारत का ईरान के चाबहार बंदरगाह पर काम बंद पड़ा है , शांति समझौता होने पर फिर से भारत यहाँ काम शुरू कर सकता है और भारत का आर्थिक सहयोग बढ़ेगा।अमेरिका की अर्थव्यवस्था में सुधार होने से भारत के अर्थव्यवस्था में भी सुधार होगा।अमेरिका द्वारा H 1-B वीज़ा नीति के कारण भारतीय युवाओं को कॉफी नुकसान झेलना पड़ा है, माना जा रहा है कि बाइडेन के राष्ट्रपति बनने से अमेरिका की अप्रवासन नीति उदार होगी जिसका फायदा भारत के लोगों को होगा