डिजिटल करेंसी वर्तमान अर्थव्यवस्था की जरूरत

 

दुनिया बहुत तेजी से डिजिटलाइजेशन की ओर बढ़ रही हैं। कोरोना महामारी ने डिजिटलाइजेशन में तीव्रता दी हैं। पुस्तकालय, सरकारी दफ्तर, शिक्षा इत्यादि में बहुत तेजी से डिजिटलाइजेशन हो रहा हैं। डिजिटलाइजेशन व्यक्ति के भाग – दौड़ वाली जिंदगी को सरल और सहज बना रही हैं। इस डिजिटलाइजेशन के दौर में अर्थव्यवस्था के साथ – साथ मुद्राएं भी डिजिटल हो रही हैं। निर्मला सीतारमण ने देश का वार्षिक बजट 2022-23 पेश करते हुए कहा, "केंद्रीय बैंक की डिजिटल मुद्रा की शुरुआत से डिजिटल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, सरकार के इस फैसले से डिजिटल अर्थव्यवस्था को एक बड़ा बढ़ावा मिलेगा। सीतारमण ने इस बारे में कोई विवरण नहीं दिया कि डिजिटल रुपया कैसे काम करेगा या यह कैसा दिखेगा, लेकिन कहा कि इसे "ब्लॉकचेन और अन्य तकनीकों का उपयोग करके" पेश किया जाएगा। यदि भारत अपनी योजनाओं पर कायम रहता है तो तथाकथित केंद्रीय बैंक डिजिटल मुद्रा (सीबीडीसी) पेश करने के लिए भारत दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में से एक होगा।

डिजिटल करेंसी के रेस में विश्व की बड़ी अर्थव्यवस्था -

चीन 2014 से अपने युआन के डिजिटल संस्करण पर काम कर रहा है और वैश्विक स्तर पर सीबीडीसी को लॉन्च करने का प्रयाश कर रहा हैं। जापान अपने स्वयं के सीबीडीसी की तलाश कर रहा है, और अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने पिछले महीने  डिजिटल डॉलर में एक अध्ययन जारी किया था, लेकिन इस पर अभी स्थिति स्पष्ट नहीं हो पाई है । जबकि भारत एक डिजिटल रुपये के साथ आगे बढ़ रहा है, इसने बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी पर सख्त रुख अपनाने की कोशिश की है और वर्तमान में इस क्षेत्र के लिए विनियमन पर काम कर रहा है। मौजूदा वास्तविक मुद्रा के डिजिटलीकरण की शुरुआत इलेक्ट्रॉनिक पेमेंट और इंटरबैंक पेमेंट सिस्टम के आगमन के साथ हुई थी। इसकी सहायता से वाणिज्यिक बैंक अधिक कुशल और स्वतंत्र तरीके से ऋण के प्रवाह को बढ़ावा दे सकते हैं, जिससे अर्थव्यवस्था में मुद्रा की आपूर्ति में बढ़ोतरी होती है, हालाँकि इससे देश की बुनियादी मुद्रा पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है।

डिजिटल मुद्रा के फायदे-

 ब्लॉकचेन प्रौद्योगिकी द्वारा समर्थित डिजिटल मुद्रा देश की बुनियादी मुद्रा को प्रभावित करती है, जिससे देश के केंद्रीय बैंक को मुद्रा सृजन और आपूर्ति के लिये मौजूदा बैंकिंग प्रणाली पर निर्भर नहीं रहना पड़ेगा, बल्कि वह स्वयं डिजिटल करेंसी का सृजन कर इसे सीधे उपभोक्ता तक पहुँचा सकेगा। डिजिटल मुद्रा की आवश्यकता मौजूदा क्रिप्टोकरेंसी (एथरियम और बिटकॉइन आदि) के अराजक डिज़ाइन के कारण उत्पन्न होती है, जिसमें डिजिटल मुद्रा के सृजन और रखरखाव की शक्तियाँ प्रयोगकर्त्ताओं अथवा उपभोक्ताओं के पास होती हैं। बिना किसी सरकारी निगरानी और सीमा पार भुगतान में आसानी के कारण इस प्रकार की डिजिटल मुद्रा का उपयोग प्रायः चोरी, आतंकी फंडिंग, मनी लॉन्ड्रिंग आदि के लिये काफी आसानी से किया जा सकता है। डिजिटल मुद्रा को नियंत्रित करके केंद्रीय बैंक इस प्रकार की घटनाओं पर लगाम लगा सकता है। चूँकि क्रिप्टोकरेंसी या डिजिटल मुद्रा किसी भी संपत्ति अथवा मुद्रा द्वारा समर्थित नहीं होती है और इसका मूल्य केवल मांग और आपूर्ति के आधार पर निर्धारित किया जाता है, इसलिये बिटकॉइन जैसे अन्य क्रिप्टोकरेंसीज़ के मूल्य में काफी अस्थिरता देखने को मिलती है। केंद्रीय बैंक द्वारा जारी डिजिटल मुद्रा को किसी संपत्ति अथवा पारंपरिक मुद्रा का समर्थन प्राप्त होगा, जिसके कारण इसका मूल्य अन्य डिजिटल मुद्राओं जैसे एथरियम और बिटकॉइन की तरह अस्थिर नहीं होगा। दूनिया की तमाम बड़ी अर्थव्यवस्था डिजिटल मुद्रा लॉन्च करके मुद्रा और भुगतान प्रणाली में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में कार्यकर रहा है। ऐसे में भारत के लिये डिजिटल करेंसी को लॉन्च करना न केवल वित्तीय प्रणाली में बदलाव लाने की दिशा में महत्त्वपूर्ण है, बल्कि यह रणनीतिक दृष्टि से भी काफी आवश्यक है। डिजिटल रुपया रिज़र्व बैंक को मौद्रिक नीति को नियंत्रित करने हेतु प्रत्यक्ष उपकरण प्रदान कर और अधिक सशक्त बनाएगा।  इसके उपयोग से रिज़र्व बैंक को प्रत्यक्ष रुप से मुद्रा सृजन और आपूर्ति की शक्ति प्रदान होगी, जिससे नीतिगत बदलावों के प्रभावों को तत्काल प्रतिबिंबित किया जा सकेगा, जबकि अब तक रिज़र्व बैंक अपने नीतिगत निर्णयों को लागू करने के लिये वाणिज्यिक बैंकों पर निर्भर है। गैर-बैंकिंग वित्तीय संस्थाओं के मौजूदा संकट, PMC बैंक घोटाला और भारतीय वित्तीय प्रणाली की मौजूदा स्थिति हमारे मौजूदा बैंकिंग मॉडल की नाजुकता का प्रमाण है।

बैंकिंग मॉडल का नया आयाम -

देश की सरकार अथवा केंद्रीय बैंक द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नियामकों को अर्थव्यवस्था में लेन-देन और ऋण प्रवाह की निगरानी में मदद करेगा, जिससे घोटालों और धोखाधड़ी की निगरानी करने में सहायता मिलेगी और जमाकर्त्ताओं के पैसे को भी सुरक्षा प्रदान की जा सकेगी। सरकार द्वारा समर्थित आधिकारिक डिजिटल मुद्रा आम उपयोगकर्त्ताओं और उपभोक्ताओं को नकदी का उपयोग न करने के प्रति प्रोत्साहित करने में महत्त्वपूर्ण हो सकती है, जो कि कर चोरी पर नियंत्रण हेतु काफी उपयोगी होगा। भारतीय रिज़र्व बैंक अथवा भारत सरकार द्वारा समर्थित डिजिटल रुपया, भारतीय नागरिकों को सशक्त बनाने और उन्हें तेज़ी से बढ़ती वैश्विक डिजिटल अर्थव्यवस्था में अपना स्थान तलाशने में मदद करेगा। साथ ही इससे भारतीय नागरिकों को देश की पुरानी बैंकिंग प्रणाली से भी मुक्ति मिलेगी और भारत के बैंकिंग मॉडल में एक नया आयाम जुड़ सकेगा। अर्थव्यवस्था में तरलता, बैंकिंग प्रणाली और वित्तीय बाज़ार आदि पर डिजिटल रुपए के प्रभाव को देखते हुए यह आवश्यक है कि भारत के नीति निर्माताओं द्वारा भारत में सरकार समर्थिक डिजिटल मुद्रा की संभावनाओं पर गंभीरता से विचार किया जाए। चूँकि आने वाले समय में चीन और अमेरिका के बीच  डिजिटल मुद्रा युद्ध देखने को मिल सकता है, इसलिये यदि ऐसे में भारत भी अपनी डिजिटल मुद्रा लॉन्च करता है तो उसे अंतर्राष्ट्रीय तनाव का सामना करना पड़ सकता है, और भारत को इसके लिये पहले से ही तैयार रहना चाहिये।