फर्जी वोटिंग को रोकने के लिए ईवीएम से ज्यादा सुरक्षित हैं बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन

 


भारत दूनिया का सबसे बड़ा लोकतांत्रिक देश हैं। लोकतंत्र में चुनाव सबसे मुलभूत चीज होती हैं। फर्जी वोटिंग ,अवैध मतदान इत्यादि लोकतंत्र की अखंडता को प्रभावित करता हैं। जिससे तेजी से नागरिकों का भरोसा लोकतंत्र से खत्म हो रहा हैं। चुनावी प्रक्रियाओ में पारदर्शिता बनाए रखना और मतदान प्रणाली की अखंडता की रक्षा पर हम बहुत पैसे खर्च कर रहे हैं। भले ही सरकार ने युनिक वोटर आईडी प्रदान किया हो लेकिन अवैध वोटिंग रेट में कमी नही आई हैं। चुनाव के दौरान हो रहे फर्जी वोटिंग ,अवैध मतदान इत्यादि को रोकने के लिए संसद ने युनिक वोटर आईडी को युनिक आधार आईडी से जोड़ने का निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक
, 2021  बनाया हैं। मतदान प्रणाली में बायोमेट्रिक पहचान का उपयोग फर्जी वोटिंग को खत्म कर सकती हैं। निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 फर्जी वोटिंग को रोककर लोगों का भरोसा लोकतंत्र पर बनाये रखने में मदद करेगी। हालांकि यह विधेयक जनता की ओर से चुनाव में की जा रही फर्जी वोटिंग को रोकने का काम करेगी। चुनाव में सरकार और प्रशासन की ओर से होनी वाली गड़बडी को निर्वाचन विधि (संशोधन) विधेयक, 2021 नही रोकती हैं जैसे निर्वाचन आयोग द्वारा चुनाव की तिथि घोषणा करने से पहले राजनैतिक दल द्वारा चुनावी तिथि की घोषणा कर देना, राजनैतिक दल के गाड़ी में ईवीएम मशीन पाया जाना इत्यादि।  किसी निश्चित क्षेत्र में चुनाव आयोग द्वारा जारी वोटर कार्ड से अधिक संख्या में वोटिंग हुई हो तो वोटिंग प्रतिशत के आंकड़े 100 प्रतिशत के आंकड़ो पार कर जाऐगी जिससे कहा जा सकता हैं कि फर्जी वोटिंग हुई है , लेकिन  निर्वाचन आयोग के पास इस तरह के कोई आंकड़ा नही हैं।  कम वोटिंग प्रतिशत होने के दो कारण हो सकती हैं। पहला – लोगों के पास एक से ज्याद की संख्या में वोटर कार्ड हैं लेकिन लोगों ने एक ही वोटर कार्ड दिखा कर वोटिंग की हैं । दूसरी सभांवना यह हो सकता हैं कि निर्वाचन आयोग ने मरे हुए लोंगो का वोटर कार्ड निरस्त नही करवाया हैं जिसके कारण वोटिंग प्रतिशत कम हुई हैं। हांलाकि इन दो बातों से कहीं भी सिद्ध नहीं होता हैं कि फर्जी वोटिंग होती हैं।

डेटा सुरक्षा पर सरकार की मंशा साफ नहीं-

प्रशासन के अनुसार आधार को चुनावी रिकार्ड से जोड़ने से एक ही व्यक्ति के अलग-अलग जगहों पर की गई नामांकन की समस्या दूर हो जाऐगी । एक बार आधार लिंक हो जाने के बाद, मतदाता सूची डेटा सिस्टम किसी भी व्यक्ति द्वारा नए पंजीकरण के लिए पूछे जाने पर पिछले पंजीकरण की उपस्थिति को तुरंत चिहिंत कर देगा। निर्वाचन आयोग इस तरह की समस्या से समाधान के लिए फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक का उपयोग कर फर्जी वोटर आईडी और फर्जी वोटिंग पर लगाम लगा सकती थी। आधार कार्ड में कई लोगों के वित्तिय डेटा , स्वास्थ्य डेटा इत्यादि शामिल होती हैं। डेटा सुरक्षा को लेकर सरकार का नजरिया  साफ नजर नही आ रहा हैं। सरकार के पास इतने बड़े डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। सरकार कई बार खुद साईबर अटैक का शिकार हो जाती हैं। कभी प्रधानमंत्री का ट्विटर एकाउंट हैक कर लिए जाता है तो कभी यूपीएससी का वैबसाईट हैक हो जाता है । ऐसे में सरकार को सवाल पूछा जाना चाहिए कि आधार को वोटर आईडी जोड़ देना कितना सही हैं ? क्या लोगों द्वारा दी गई जानकारी का गलत उपयोग जैसे राजनीतिक फायदे के लिए तो नही किया जा सकता हैं? हालांकि 2018 के तेलंगना  विधानसभा चुनाव में इस तरह के उपाय के परिणाम के कारण अनुमानित दो मिलियन मतदाओं को हटा दिया गया था लेकिन बाद में तेलगु देसम पार्टी पर आरोप लगाया जाने लगा कि आधार और वोटर आईडी डेटा का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए किया हैं।

डेटा का र्दुउपयोग-

आज के दौर में डेटा लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। डेटा को वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में देखा जाता हैं। सरकार के पास 2011 में किए गए जातिगत जनगणना के आकड़े है। जनगणना का डेटा, आधार और वोटर आईडी डाटा का विश्लेषण चुनाव के वक्त राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुँचा सकती हैं। जिससे हमारा लोकतंत्र मजबूत होने के बजाय ओर कमजोर हो जाऐगा।

ईवीएम के बदले बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन से वोटिंग-

अभी तक के तकनीक में हमलोगों ने देखा हैं कि लोग वोटिंग मशीन में छपे चुनाव चिन्ह के सामने वाले बटन दबा कर अपनी वोट सुनिश्चित करते थे। ईवीएम पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। चुनावी प्रक्रियाओ में पारदर्शिता बनाए रखना और मतदान प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को ईवीएम जैसे पूरानी तकनीक को बदलकर बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन उपयोग करना चाहिए। बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन में वोटिंग युनिक वोटर आईडी और फिंगरप्रिंट(अँगुठा) बायोमेट्रिक के माध्यम से होगा । वोटिंग के दौरान बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन जीएसएम नेटवर्क के माध्यम से चुनाव आयोग और उससे सबंधित अधिकारी से जुड़ा रहेगा। इस तकनीक से वोटिंग कराने पर सबसे ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। वोटर आईडी को फिंगरप्रिंट(अँगुठा)बायोमेट्रिक से जोड़ने से किसी भी तरह के निजता का हनन नही होगा और ना ही इस डेटा का र्दुउपयोग किया जा सकता हैं।