डेटा सुरक्षा पर सरकार की मंशा साफ नहीं-
प्रशासन के अनुसार आधार को चुनावी रिकार्ड से जोड़ने से एक ही व्यक्ति के अलग-अलग जगहों पर की गई नामांकन की समस्या दूर हो जाऐगी । एक बार आधार लिंक हो जाने के बाद, मतदाता सूची डेटा सिस्टम किसी भी व्यक्ति द्वारा नए पंजीकरण के लिए पूछे जाने पर पिछले पंजीकरण की उपस्थिति को तुरंत चिहिंत कर देगा। निर्वाचन आयोग इस तरह की समस्या से समाधान के लिए फिंगरप्रिंट बायोमेट्रिक का उपयोग कर फर्जी वोटर आईडी और फर्जी वोटिंग पर लगाम लगा सकती थी। आधार कार्ड में कई लोगों के वित्तिय डेटा , स्वास्थ्य डेटा इत्यादि शामिल होती हैं। डेटा सुरक्षा को लेकर सरकार का नजरिया साफ नजर नही आ रहा हैं। सरकार के पास इतने बड़े डेटा को सुरक्षित रखने के लिए कोई व्यवस्था नहीं हैं। सरकार कई बार खुद साईबर अटैक का शिकार हो जाती हैं। कभी प्रधानमंत्री का ट्विटर एकाउंट हैक कर लिए जाता है तो कभी यूपीएससी का वैबसाईट हैक हो जाता है । ऐसे में सरकार को सवाल पूछा जाना चाहिए कि आधार को वोटर आईडी जोड़ देना कितना सही हैं ? क्या लोगों द्वारा दी गई जानकारी का गलत उपयोग जैसे राजनीतिक फायदे के लिए तो नही किया जा सकता हैं? हालांकि 2018 के तेलंगना विधानसभा चुनाव में इस तरह के उपाय के परिणाम के कारण अनुमानित दो मिलियन मतदाओं को हटा दिया गया था लेकिन बाद में तेलगु देसम पार्टी पर आरोप लगाया जाने लगा कि आधार और वोटर आईडी डेटा का उपयोग राजनीतिक फायदे के लिए किया हैं।
डेटा का र्दुउपयोग-
आज के दौर में डेटा लोगों के लिए सबसे महत्वपूर्ण है। डेटा को वैज्ञानिक प्रमाण के रूप में देखा जाता हैं। सरकार के पास 2011 में किए गए जातिगत जनगणना के आकड़े है। जनगणना का डेटा, आधार और वोटर आईडी डाटा का विश्लेषण चुनाव के वक्त राजनीतिक पार्टी को फायदा पहुँचा सकती हैं। जिससे हमारा लोकतंत्र मजबूत होने के बजाय ओर कमजोर हो जाऐगा।
ईवीएम के बदले बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन से वोटिंग-
अभी तक के तकनीक में हमलोगों ने देखा हैं कि लोग वोटिंग मशीन में छपे चुनाव चिन्ह के सामने वाले बटन दबा कर अपनी वोट सुनिश्चित करते थे। ईवीएम पर कई तरह के सवाल खड़े किए जा रहे हैं। चुनावी प्रक्रियाओ में पारदर्शिता बनाए रखना और मतदान प्रणाली की अखंडता को बनाए रखने के लिए चुनाव आयोग को ईवीएम जैसे पूरानी तकनीक को बदलकर बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन उपयोग करना चाहिए। बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन में वोटिंग युनिक वोटर आईडी और फिंगरप्रिंट(अँगुठा) बायोमेट्रिक के माध्यम से होगा । वोटिंग के दौरान बायोमेट्रिक वोटिंग मशीन जीएसएम नेटवर्क के माध्यम से चुनाव आयोग और उससे सबंधित अधिकारी से जुड़ा रहेगा। इस तकनीक से वोटिंग कराने पर सबसे ज्यादा पारदर्शिता सुनिश्चित होगी। वोटर आईडी को फिंगरप्रिंट(अँगुठा)बायोमेट्रिक से जोड़ने से किसी भी तरह के निजता का हनन नही होगा और ना ही इस डेटा का र्दुउपयोग किया जा सकता हैं।